दुख भरी सच्ची कहानी एक कहानी सुनकर आपको रुला देगी भाग 1‌ Sad true story listening to a story will make you cry part 1

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दुख भरी सच्ची कहानी एक कहानी सुनकर आपको रुला देगी भाग 1‌ Sad true story listening to a story will make you cry part 1

दुख भरी सच्ची कहानी एक कहानी सुनकर आपको रुला देगी भाग 1‌ Sad true story listening to a story will make you cry part 1

दुख भरी सच्ची कहानी एक कहानी सुनकर आपको रुला देगी

Sad true story listening to a story will make you cry

सुबह उसको मालूम पड़ा कि बारिश तो खत्म हो गई थी बहुत अच्छा सा धूप निकल आया हुआ था तब उसकी नींद खुली नींद खुलने के बाद पेड़ से नीचे उतरने को नहीं हो रहा था क्योंकि उसके हाथ पाऊं अटक गए थे बहुत देर बाद उस पेड़ से नीचे उतरा फिर से रोड पर गया जंगल का रास्ता था गाड़ियां भी नहीं आती थी 

उस रोड में बारिश का मौसम था इसीलिए रोड खराब था रोड़ी रोड फिर से पूरे दिन चला जंगल में जो भी फल फूल मिला वही खाकर पेट भरता था फिर से रात हो गई चलते चलते जहां तक गाड़ी चलती थी वहां तक पहुंच गया चलते चलते राहत हो गई थी फिर से रात को बारिश शुरू हुई आधी रात तक रोड पर चल रहा था कहां जाना है कहां नहीं जाना उसको ही पता नहीं था आगे क्या होगा वह भी उसको पता नहीं था उसको बस यही लग रहा था यही सोचता था कि कैसे भी करके शहर तक पहुंच जाए तो कुछ भी काम करके अपना पेट पाल लूंगा ऐसा ही सोचता था आधी रात को एक बस आई उस जंगल में अकेली बस आ रही थी

उस लड़के ने उस बस को रोकने की कोशिश की पूरी तरह से लड़का भीगा हुआ था बस वाले ने बस भी रुकी और उस लड़के को कहा तुम्हें कहां जाना है उस लड़के को तो पता नहीं था उसको कहां जाना है क्योंकि वह घर से पहली बार निकला था इसीलिए उसने कहा इससे आगे जहां भी गांव या कोई होटल बगैरा जो भी आए वहां पर उतार देना वह लड़का उस गाड़ी में बैठा कंडक्टर आकर उसको कहा तुम्हें कहां जाना है लड़का बोला मुझे भी पता नहीं है लेकिन जो भी पहले दुकान या होटल कुछ भी आएगा वहां पर उतार देना कंडक्टर ने कहा यहां पर नजदीक में ही छोटा सा एक बाजार आता है वहां तक के लिए ₹50 टिकट लगेगा

लड़के ने कहा मेरे पास पैसा नहीं है साहब जो भी छोटा सा बाजार हो या कुछ भी जहां पर लोग रहते होंगे वहां पर मुझे उतार देना मैं इस जंगल में अकेला ही था यह तो आपकी बहुत बड़ी मेहरबानी है आपने मुझे बस में बैठने को जगह दी

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बस वाले ने कहा तू यहीं पर उतर पैसा नहीं देगा तो हम कैसे लेंगे तुझे
लड़के ने कहा नहीं साहब मेरे पास पैसा नहीं है रात भी बहुत हो चुकी है मुझे इस जंगल में बहुत डर लग रहा है मुझे सीट मत दीजिए ऐसे ही खड़ा रहूंगा डोर के पास जैसे ही बाजार आएगा मैं वहां पर उतर जाऊंगा कंडक्टर ने नहीं माना उसको मारा पीटा वह लड़का थोड़ा भी नहीं रोया ऐसे ही मार खाते-खाते लड़का उस बाजार तक पहुंचा
उस बाजार में पहुंचने के बाद उस कंडक्टर ने बहुत सारी गालियां दी उस लड़के को और लड़का चुपचाप एक तरफ चला गया उसको भूख भी बहुत जोर की लग रही थी ना तो जेब में पैसा था बुरी तरह से भीगा हुआ भी था ना तो उसके पास कोई दूसरे कब है घर से निकले 2 दिन हो गए थे ठीक से खाना उसको कहीं कुछ भी नहीं मिला जो भी मिला उसको जंगल में जो भी फल फ्रूट्स वही खाकर पानी पी कर ही रहा था

एक बड़ा सा उसको होटल दिखाई दिया और उस होटल के दरवाजे पर जाकर खड़ा हो गया अंदर जाने की उसकी हिम्मत नहीं हुई क्योंकि वह बुरी तरह से भीगा हुआ था अगर अंदर जाता तो अंदर भी पानी गिर जाता इसीलिए दरवाजे पर ही खड़ा था उस होटल में 1 बस के पैसेंजर खाना खा रहे थे थोड़ी ही देर में उस बस का कंडक्टर कहने लगा हमारे गाड़ी के पैसेंजर लोगों ने खाना खा लिया हो तो जल्दी से बैठ जाओ टाइम हो गया है अब हमको चलना चाहिए कहकर जोर-जोर से अपने पैसेंजर को बुला रहा था

 ऐसे ही बोलते बोलते हैं उस होटल के दरवाजे पर कंडक्टर आया और उस लड़के के पीठ पर हाथ रख कर बोला तुम भी हमारे बस में आए हो खाना खा लिए हो क्या अब बॉस जाने वाली है चलो जल्दी उस लड़के ने कहा मैं किसी के बस में नहीं आया साहब मैं तो काम ढूंढ रहा हूं मैं बहुत दूर से आया हूं 2 दिन से चलकर आ रहा हूं मेरे पास पैसा भी नहीं है अगर इस होटल में बर्तन मांजने को मिलेगा तो मुझे खाना मिल सकता है क्या यह सोचकर मैं यहां पर खड़ा हूं उस कंडक्टर ने कहा क्या तुम मेरे साथ चलोगे लड़का बहुत ही खुश हो गया

 और उस कंडक्टर को कहा हां साहब मैं आपके साथ चलूंगा कंडक्टर ने कहा तुम क्या कहा स्कर्ट ना जानते हो उस लड़के ने कहा हां साहब मैं घास काटने जानता हूं कंडक्टर ने कहा मेरा घर यहां से 600 किलोमीटर दूर है हमारी बस भी वही जा रही है चलो बस में बैठो लड़का बहुत ही खुश हो गया और बस में बैठने के लिए जा रहा था उसी समय कंडक्टर ने कहा तुमने खाना खाया क्या लड़के ने कहा खाना तो मैंने 2 दिन से नहीं खाया साहब कोई बात नहीं।

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कंडक्टर ने कहा ऐसा कैसे चलेगा चल खाना खा ले कहकर होटल के अंदर लेकर गया उस लड़के को अच्छे से खाना खिलाया खाना खिलाने के बाद अपने गाड़ी में बैठाया और लड़का बहुत ही भीगा हुआ था उसको ठंड भी लग रही थी बहुत जोर जोर से कहां पर आया था उस कांटेक्टर के पास भी दूसरे कोई भी कपड़े नहीं थे

 इसीलिए उस लड़के को कहा तुम्हें बहुत ही ठंड लग रही है तुम इंजन के पास बैठो उस लड़के को इंजन के पास बैठाया थोड़ा गर्मी लगी और लड़का सो गया सुबह के 9:00 बजे उसके गांव पहुंचे और लड़के को उठाया उस लड़के को उस कंडक्टर ने कहा तुम बहुत ही थके हुए हो तुम नहा लो मैं कपड़े लेकर आता हूं कहा उस लड़के को कपड़े दिए उस लड़के ने नहा कर दूसरे कपड़े पहन कर उस कांटेक्ट कर के पास गया उस कंडक्टर ने कहा तुम बहुत थके हुए हो खाना खाकर सो जाओ लेकिन उस लड़के ने कहा कोई बात नहीं साहब मैं काम करने के लिए तैयार हूं आप कहिए क्या काम करना है

बस कंडक्टर ने कहा तुम्हें आराम की जरूरत है बहुत ही थके हुए हो तुम आराम कर लो शाम को बात करेंगे लड़का आराम से खाना खाकर सो गया शाम तक सो गया शाम को खाना खाने के टाइम पर ही उस कंडक्टर ने उस लड़के को उठाया और कहा अब कैसा लग रहा है उस लड़के ने कहा हां सब ठीक लग रहा है उस कांटेक्ट करने उस लड़के को उसके घर के बारे में पूछा तुम क्यों घर से भाग कर आए हो तुम्हारे घर में कौन-कौन है उस लड़के ने कहा घर में जो भी हो रहा था 

सारी कहानी बताएं एक बात उस कंडक्टर को चुप गई उस लड़के ने यह भी कहा था कि मेरा बड़ा भाई तू मुझे मारता पीटता था मैं जितना भी काम करूं फिर भी मुझे मारता रहता था मैं तो भाग कर यहां आ गया हूं अब आपके पास आ गया हूं मुझे तो कोई भी प्रॉब्लम नहीं है लेकिन मेरे छोटे छोटे भाई बहन भी है और लोग क्या करेंगे अब वह मेरा बड़ा भाई उनको भी मरना शुरू कर देगा उनको कितना दुख होगा 

मुझे अब उन छोटे छोटे भाई बहन की याद आ रही है और कुछ भी नहीं साहब कहा वह कंडक्टर भी रोया उसके आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे
उसने कहा तुम हमारे घर में आराम से रह सकते हो तुम्हें मैंने में कुछ पैसे भी दूंगा और मेरे घर में मेरे बच्चे के जैसे ही रह सकते हो खा सकते हो घूम सकते हो कहकर उस लड़के को समझाया और अपने बच्चों के साथ स्कूल भी भेजा।

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