बच्चे घर में जो भी देखते हैं वही सीखते हैं /Children learn what they see at home

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Children learn what they see at home
बच्चे घर में जो भी देखते हैं वही सीखते हैं

Children learn what they see at home,Hindi story

बच्चे घर में जो भी देखते हैं वही सीखते हैं !

मां बाप बच्चों को जो भी सिखाते हैं जो भी घर में होता है वही बच्चे सीखते हैं बच्चों की जिंदगी मां बाप के हाथों में होती है बच्चों को अच्छा बुरा सिखाना मां-बाप की जिम्मेदारी होती है
जैसे मां-बाप ऐसे ही बच्चे होते हैं

Children learn what they see at home
एक घर में बूढ़े पिताजी और उसकी वाइफ एक छोटा 8 साल का बेटा इस परिवार में 4 लोग ही रहते थे एक उसको पिताजी और उसकी पत्नी और उन का छोटा सा बेटा
उस आदमी के पापा की उम्र काफी हो चुकी थी और उनको ठीक से उठना बैठना इधर-उधर चलना ठीक से पता नहीं था तो उनके लिए किसी का सहारा लेना पड़ता था उठने बैठने और चलने के लिए
उनकी काफी उम्र हो गई थी और उनको खाना खाते समय अभी उनके हाथ कांपते थे खाना भी इधर-उधर गिर जाता ठीक से खा नहीं पाते थे उनका बेटा और बहू कुछ दिन तक तो अपने पिता की अच्छी देखभाल की लेकिन धीरे धीरे उनकी हालत बिगड़ती गई और उनका बेटा और बहू भी उनकी सेवा करते करते तंग आ चुके थे 

थोड़े ही दिन बाद उनकी बहू ने अपने पति को कहा ससुर जी का चलना फिरना तो होता नहीं उनको खाना भी ठीक से खाने को नहीं होता है क्यों ना उनके लिए एक कोने में वेट लगाकर वहीं पर खाली रखकर वहीं पर खाना दे दे उनके बेटे ने भी सही कहा और अपनी बीवी की बात सुनकर कहा कि पापा की उम्र हो चुकी है उनको ठीक से बैठकर खाने की ताकत नहीं है इसलिए खाना खाते समय उनको उनके कमरे में ही खाना दे देंगे कह कर दो ना सहमत हो गया और उनको ऐसी थाली दी की वह खाली एक लकड़ी की थी

 
उनकी लकड़ी की थाली में ही खाना डाल देते थे और उनकी थाली को ठीक से धोया भी नहीं जाता था उनको बिल्कुल अलग रहने की अलग खाने की जगह बना दी उनका छोटा बेटा भी अपने दादा जी को देखता तो उसके दादाजी के आंखों से आंसू निकल पड़ते बच्चा छोटा ही था कुछ समझता नहीं था उतना उस बच्चे ने सोचा अपने दादाजी को रोते हुए देख कर छोटा बच्चा पूछा अपने दादा जी को क्या हुआ दादा जी क्यों रो रहे हो उसके दादा जी बोले कुछ नहीं बेटा

थोड़े ही दिन बाद बच्चे ने एक लकड़ी का टुकड़ा लेकर आया और स्कूल से आकर उस लकड़ी को काट रहा था उसके मां बाप ने अपने बच्चे को देखा कि कुछ काट रहा है
उसके मम्मी पापा ने अपने बच्चे को पूछा बेटा तुम क्या कर रहे हो

बच्चे ने कहा लकड़ी की कटोरी और खाली बना रहा हूं

उसके मम्मी पापा ने पूछा क्यों बना रहे हो

बच्चे ने बोला दादा जी जब तक अच्छे थे हमारे साथ ही टेबल पर खाना खाते थे अब उनकी हालत ठीक नहीं है तो उनको लकड़ी की प्लेट में खाना दे रहे हैं इसीलिए मैंने सोचा आप लोग भी दादाजी की हालत में हो जाएंगे तो आपको भी लकड़ी की प्लेट चाहिए होगी ना इसीलिए मैं आपके लिए भी लकड़ी की प्लेट कटोरी बना रहा हूं

उसके मां बाप ने उस बच्चे से सीखा कि हमको क्या करना चाहिए क्या नहीं
उसके मां-बाप रो पड़े उसकी बातों को मन मन ही समझ लिया अपने पिताजी से माफी मांग कर फिर से उनकी अच्छे से देखभाल करने लगे

दोस्तों बच्चे को ही सीखते हैं बचपन में जो भी अपने घर में होता है या बाहर जो देखते हैं वैसा ही सीखते हैं और वैसा ही करते हैं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना अपने ही हाथ में होता है



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