भोजन का अपमान कभी भी नहीं करना चाहिए
Food should never be insulted, Hindi story
भोजन आमिर भोजन होता है चाय रोटी दाल चावल हो या पूरी खीर जोगी भजन भोजन का अपमान नहीं करना चाहिए
यह कहानी एक अमीर और गरीब की कहानी है
एक आमिर के घर में एक गरीब लड़का काम करता था उसको अलग से रूम दिया हुआ था अपना खाना खुद ही बना कर खाता था उसका मालिक सुबह 9:00 बजे ऑफिस जाता था और शाम को 6:00 बजे घर वापस आता था उसका नौकर उसके घर में काम करता था
एक दिन मालिक अपने ऑफिस से जल्दी ही धर लोटा उसने उस दिन खाना नहीं खाया था अपने नौकर को बोला कुछ खाने के लिए है घर में
नौकर बोला सब लोग तो बाहर गए हैं घर में खाना नहीं बनाया है साहब
उसका मालिक बोला मुझे जोर की भूख लगी है
नौकर भाग कर अपने कमरे में जाता है और सब्जी और रोटी लेकर जाता है मालिक को खाने के लिए बोल देता है
मालिक ने नौकर को पूछा अभी तो तुम कह रहे थे कि घर में खाना नहीं बनाया सब लोग बाहर गए हैं इसलिए खाना नहीं बना कह रहे थे यह खाना किधर से लेकर आए हो
और सुनाओ करने कहा यह रोटी सब्जी मैंने मेरे लिए बनाई थी मैंने तो खाली है रोटी सब्जी बची हुई थी मेरे पास आप को जोर की भूख लग रही थी ना इसलिए मैं लेकर आया हूं
मालिक ने कहा तेरे हाथ का खाना मैं नहीं खाऊंगा तूने मुझे क्या समझ रखा है कह कर बहुत ही ज्यादा बुरा कहा और उसके नौकर ने रोटी सब्जी ऑफिस अपने कमरे में लेकर आया अपने कमरे में रखकर फिर मालिक के पास गया और माफी मांगने लगा कि मुझसे गलती हो गई साहब आपको भूख लग रही थी इसलिए मैं लेकर आया मुझे पता नहीं था कि आप नहीं खाएंगे मेरे हाथ का खाना
उसके मालिक ने कहा तुम्हारा ऐसा खाना हम कैसे खा सकते हैं यह खाना तुम्हारे लिए ही सही है ऐसा खाना हमने कभी भी नहीं उठाया आज के बाद तुम मेरे परिवार में किसी को भी किसी भी हालत में कभी भी मत देना तुम्हारा खाना और हमारा खाना में बहुत ही अंतर है ।
नौकर ने अपने मालिक से माफी मांगी और आज के बाद गलती नहीं होगी साहब कहकर वापस आ गया।
कुछ दिन बाद नौकर को मलिक ने कहा कल सुबह तुम मेरे साथ चलो मैं कहीं दूर जा रहा हूं तुम मेरे साथ चलोगे सुबह 5:00 बजे रेडी हो जाना मेरे साथ तुम्हें जाना होगा
नौकर ने कहा ठीक है साहब
और ना करना रात के 3:00 बजे एक बोतल अपना खाना रोटी सब्जी बनाकर पैक करके रखा और सुबह जैसे ही उसके मालिक ने बुलाया अपने मालिक के साथ अपने मालिक के कारण ही दोनों निकल गए
मालिक बहुत ही दूर जा रहा था दिन के 9:00 बज रहे थे तब तक चल ही रही थी उनकी कार चलते चलते एक बड़ा सा जन्मदिन आया सुनसान जगह खाली-खाली रोड जंगल में उनकी कार खराब हो गई
उस मालिक कि नहीं बहुत इंतजार किया कोई भी गाड़ी ना आ रही थी ना जा रही थी अगर कोई गाड़ी आती तो रुकती भी नहीं थी क्योंकि सुनसान बहुत ही बड़ा जंगल था शायद इसलिए भी कोई भी गाड़ी रुक नहीं रही थी
सुबह से शाम होने लगी दोनों को बहुत ही भूख भी लग रही थी।
यह कहानी एक अमीर और गरीब की कहानी है
एक आमिर के घर में एक गरीब लड़का काम करता था उसको अलग से रूम दिया हुआ था अपना खाना खुद ही बना कर खाता था उसका मालिक सुबह 9:00 बजे ऑफिस जाता था और शाम को 6:00 बजे घर वापस आता था उसका नौकर उसके घर में काम करता था
एक दिन मालिक अपने ऑफिस से जल्दी ही धर लोटा उसने उस दिन खाना नहीं खाया था अपने नौकर को बोला कुछ खाने के लिए है घर में
नौकर बोला सब लोग तो बाहर गए हैं घर में खाना नहीं बनाया है साहब
उसका मालिक बोला मुझे जोर की भूख लगी है
नौकर भाग कर अपने कमरे में जाता है और सब्जी और रोटी लेकर जाता है मालिक को खाने के लिए बोल देता है
मालिक ने नौकर को पूछा अभी तो तुम कह रहे थे कि घर में खाना नहीं बनाया सब लोग बाहर गए हैं इसलिए खाना नहीं बना कह रहे थे यह खाना किधर से लेकर आए हो
और सुनाओ करने कहा यह रोटी सब्जी मैंने मेरे लिए बनाई थी मैंने तो खाली है रोटी सब्जी बची हुई थी मेरे पास आप को जोर की भूख लग रही थी ना इसलिए मैं लेकर आया हूं
मालिक ने कहा तेरे हाथ का खाना मैं नहीं खाऊंगा तूने मुझे क्या समझ रखा है कह कर बहुत ही ज्यादा बुरा कहा और उसके नौकर ने रोटी सब्जी ऑफिस अपने कमरे में लेकर आया अपने कमरे में रखकर फिर मालिक के पास गया और माफी मांगने लगा कि मुझसे गलती हो गई साहब आपको भूख लग रही थी इसलिए मैं लेकर आया मुझे पता नहीं था कि आप नहीं खाएंगे मेरे हाथ का खाना
उसके मालिक ने कहा तुम्हारा ऐसा खाना हम कैसे खा सकते हैं यह खाना तुम्हारे लिए ही सही है ऐसा खाना हमने कभी भी नहीं उठाया आज के बाद तुम मेरे परिवार में किसी को भी किसी भी हालत में कभी भी मत देना तुम्हारा खाना और हमारा खाना में बहुत ही अंतर है ।
नौकर ने अपने मालिक से माफी मांगी और आज के बाद गलती नहीं होगी साहब कहकर वापस आ गया।
कुछ दिन बाद नौकर को मलिक ने कहा कल सुबह तुम मेरे साथ चलो मैं कहीं दूर जा रहा हूं तुम मेरे साथ चलोगे सुबह 5:00 बजे रेडी हो जाना मेरे साथ तुम्हें जाना होगा
नौकर ने कहा ठीक है साहब
और ना करना रात के 3:00 बजे एक बोतल अपना खाना रोटी सब्जी बनाकर पैक करके रखा और सुबह जैसे ही उसके मालिक ने बुलाया अपने मालिक के साथ अपने मालिक के कारण ही दोनों निकल गए
मालिक बहुत ही दूर जा रहा था दिन के 9:00 बज रहे थे तब तक चल ही रही थी उनकी कार चलते चलते एक बड़ा सा जन्मदिन आया सुनसान जगह खाली-खाली रोड जंगल में उनकी कार खराब हो गई
उस मालिक कि नहीं बहुत इंतजार किया कोई भी गाड़ी ना आ रही थी ना जा रही थी अगर कोई गाड़ी आती तो रुकती भी नहीं थी क्योंकि सुनसान बहुत ही बड़ा जंगल था शायद इसलिए भी कोई भी गाड़ी रुक नहीं रही थी
सुबह से शाम होने लगी दोनों को बहुत ही भूख भी लग रही थी।
मालिक ने कहा अब तो जोरदार की भूख भी लग रही है खाने को कुछ भी नहीं है गाड़ी को भी आगे खराब होना था थोड़ा आगे निकलते तो होटल भी मिल जाता इस हालत में हमें खाना कहां से मिलेगा
मालिक ने कहा तुम्हें भी जोर की भूख लगी होगी ना
नौकर ने कहा नहीं साहब भूख तो आपको भी लगी है मुझे भी लेकिन मेरे पास तो खाना है रोटी सब्जी लेकर आया हूं
मालिक ने कहा अगर तुम्हारे पास खाना है तो तुम तो खा लो नौकर ने कहा नहीं नहीं मालिक साहब आपने भी तो कुछ भी नहीं खाया मैं अकेला कैसे खा सकता हूं
मालिक ने कहा कोई बात नहीं तुम खा लो
उस लड़के ने बहुत सारी रोटी और सब्जी लेकर गया हुआ था जैसे ही उस लड़के ने रोटी सब्जी निकाली खाना शुरू किया उसके मालिक को बहुत ही अच्छी खुशबू आ रही थी क्योंकि भूखा था।
बस मालिक ने अपने नौकर को कहा थोड़ा सा खाना मुझे भी दे दो
नौकर ने कहा साहब आप मेरे हाथ का खाना कैसे खाएंगे
मालिक ने कहा अब कोई चारा नहीं है अब क्या करेंगे थोड़ा सा दे दो उस लड़के ने रोटी सब्जी उस मालिक को दी और उस मालिक ने उस लड़के से भी ज्यादा रोटी सब्जी खाई और कहने लगा बहुत टेस्टी है बहुत ही बढ़िया खाना है।
खाना खाने के बाद उसके मालिक ने अपने नौकर से माफी मांगे।
नौकर ने कहा नहीं साहब माफी मत मांगो मैं आपको माफ करने वाला कौन हूं
मालिक ने कहा भजन क्या होता है आखिर भोजन को कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए मैंने भोजन को अपमान करने की सजा है यह मुझे क्या मालूम लड़के ने कहा आपने सही कहा है साहब भोजन को कभी भी कहीं भी भोजन का अपमान नहीं करना चाहिए।
दोस्तों भूख क्या होती है जो अक्सर किसी वजह से भूखा रह जाए या खाने को ना मिले तब भी भूख का अंदाजा लगा सकता है और वह का मतलब समझ आता है और वजन क्या होता है और वजन का अपमान नहीं करना चाहिए उनको यह मालूम होता है जिनको भोजन मिल होता है।