चाहे दुनिया कुछ भी कहे ले आखिर सच तो सच ही होता ही होता है Hindi kahani। No matter what the world says, the truth is always true ,good story,

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चाहे दुनिया कुछ भी कहे ले आखिर सच तो सच ही होता है, अच्छा करने से अच्छा ही होता है, बुरा करने से कभी भी अच्छा नहीं होगा, यह बात तो सभी लोगों को पता है फिर भी लोग गलती कर बैठते हैं।


एक मंदिर में पुजारी थे, वह पुजारी होने के साथ-साथ गरीब भीथे।

उनकी एक 4 साल की बेटी थी, तभी उन्होंने एक गांव में दुकान था उस दुकानदार को ₹10,000 उसके पास रखने के लिए दिया, उस दुकानदार को कहा मेरे ₹10,000 तुम्हारे पास रख लो अगर मेरे पास रहे तो खर्च हो जाएंगे, यह रुपए मैं अपनी बेटी की शादी में खर्च करूंगा, दुकानदार ने कहा ठीक है पुजारी जी, आपके पैसे जब आप मांगेंगे ब्याज के साथ लौटा दूंगा, पुजारी ने दुकानदार के पास ₹10,000 रख कर गए,

18 साल बाद उनकी बेटी की शादी का दिन भीआ गया, उनकी बेटी 22 साल की हो चुकी थी शादी के लिए भी तैयारियां हो रही थी पुजारी जी ने सोचा आब दुकान वाले भाई से पैसे लेने चाहिए।

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पुजारी जी उस दुकान पर गए दुकान वाले को कहा भाई साहब मैंने आपके पास पैसे रखे थे मेरी बेटी की शादी होने वाली अब मुझे वह पैसे लौटा दो, दुकान वाले ने कहा आपके कैसे पैसे, कब दिए थे मेरे पास, उसको पता था फिर भी उसने देने पर मना किया, आपने मुझे पैसे ही नहीं दिय, पुजारी जी ने उसको बहुत समझाया कि मैंने तुम्हारे पास ₹10,000 दिए थे आपको पता होगा आपने अपने बुक में भी लिखा था, जरा चेक कीजिए,

दुकान वाले ने कहा आपने कोई पैसे नहीं दिए, क्यों झूठ बोल रहे हो,

पुजारी जी इतना सुनकर वापस मंदिर चले गए, सोचने लगे कि आखिर ऐसा क्यों किया उसके पास मैंने ₹10,000 दिएथे, वापस देने के लिए मना कर रहा है अब मुझे क्या करना चाहिए, उस गांव में एक राजा था,पुजारी जी ने सोचा अगर मैं उस राजा से कहूं यह बात तो शायद मेरे पैसे मुझे वापस मिल जाए,

दूसरे दिन पुजारी जी राजा के पास जाते हैं और कहते हैं महाराज 18 साल पहले महीने दुकानदार को ₹10,000 दिए थे और उसने कहा भी था जब भी आप अपने पैसे लोगे ब्याज के साथ लौट आऊंगा कहा था, उसने अपने खातों में भी लिखा था, लेकिन आब देने पर मना कर रहा है, आपने मुझे पैसे ही नहीं दिए ऐसा कह रहा है, अगर कोई रास्ता है तो बता दीजिए मेरी मदद कीजिए मेरी बेटी की शादी है माहाराज,


महाराज ने कहा कल हम उसी रास्ते से कहीं जा रहे हैं तो आप उस दुकान के पास ही खड़े रहना, हो सकता है आपका काम हो जाए,


पुजारी जी दूसरे दिन उस दुकानदार के पास जाकर खड़े हो गए, थोड़ी ही देर पर राजा और राजा की सेना बहुत सारे लोग उस रास्ते से आ रहे थे और बहुत सारे लोग महाराज महाराज कहकर बहुत ही सम्मान कर रहे थे, अपने घोड़े पर बैठे हुए थे। उसी समय महाराज ने पुजारी जी को देखा दुकान के सामने खड़े थे, और महाराजा अपने घोड़े से उतरकर पुजारी जी से कहा प्रणाम पुजारी जी कहकर उनके पाउ छुय , और कहा आप यहां पर क्या कर रहे हो पुजारी जी आप तो हमारे गुरु हैं। हम तो गांव वालों ने सुना हुआ एक राजा ही है, आप तो हमारे महाराज हमारे गुरु हैं कहकर अपने घोड़े पर बैठाया।


दुकानदार देखता रहा सोचने लगा की पुजारी जी इतने बड़े हैं ईतने महान हैं शायद मैं गलती तो नहीं कर रहा हूं, इनके पैसे देने पर मना करके सोचता रहा,


महाराजा ने पुजारी जी को थोड़ी ही दूर जाते ही अपने घोड़े से उतरने को कहा, और पुजारी जी घोड़े से उतर गए।


महाराजा ने कहा पुजारी जी हमने आपका काम कर दिया है आगे आपकी किस्मत इतना कहकर महाराजा चलते रहे, पुजारी जी को वहीं पर छोड़ दिया।

पुजारी जी आपस मंदिर पर गया, थोड़ी देर बाद दुकानदार और दुकानदार के दोस्त लोग मंदिर में गए,


और पुजारी जी से कहा हमें माफ करना, पुजारी जी आप तो बहुत बड़े हैं मुझे पता नहीं था पुराने खाते में आपका नाम भी देखा और आपके पैसे भी मैंने आपको देना है मैं देख लिया हूं आपके पैसे लौटा दूंगा कहकर पुजारी जी को अपने दुकान पर बुलाया।


पुजारी जी के 10,000 और ब्याज के साथ पुजारी जी के पैसे पूरे के पूरे वापस कर दिया और दुकान वाले ने माफी भी मांगी।


तो दोस्तों जैसा कि दुकान वाले ने कहा कि आपके कोई पैसे नहीं है फिर भी वह जानता था उनके पैसे देने हैं फिर भी उसने कहा आपका कोई पैसा नहीं है, कब दिए थे


ऐसे ही पुजारी जी भी चिल्लाते मैंने तुम्हें पैसा दिया था कहते झगड़ा करते तो उनके पैसे मिलते

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धन्यवाद

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