Incomplete friendship gradually completed । अधूरी दोस्ती धीरे-धीरे पूरी

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Incomplete friendship gradually completed । अधूरी दोस्ती धीरे-धीरे पूरी

Incomplete friendship gradually completed । अधूरी दोस्ती धीरे-धीरे पूरी, Hindi story,


  1. जमाने बदल गए जमाने के साथ-साथ इंसान भी बदल गए
  1. Incomplete friendship gradually completed । अधूरी दोस्ती धीरे-धीरे पूरी

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एक गांव में दो लड़के बहुत ही अच्छे दोस्त थे अपना सुख दुख बांटते अच्छे थे दोनों के पास खास करके उतनी कोई तकलीफ नहीं थी खाने-पीने की पैसों की भी।
कभी भी खाते पीते तो साथ खाते पीते अच्छे दोस्त थे
 
एक का नाम था विजय दूसरे का नाम था अजय कुछ दिन बाद विजय ने शादी कर ली अजय की तो शादी पहले हो चुकी थी विजय ने शादी करने के बाद थोड़े ही दिन बाद घर से अलग हो गया क्योंकि उसके घर में झगड़ा होता रहता था मां बाप से अलग हो गया था अलग होने के बाद भी थोड़े दिन खुश था धीरे धीरे घर की हालत बिगड़ने लगी अपना घर का जिम्मा खुद ही उठाना था पहले जैसा हर जगह खर्च करना पैसा बच नहीं रहा था धीरे-धीरे उसके दोस्त अजय ना उससे मिलना छोड़ दिया और विजय पूछता अजय तुमको क्या हुआ अजय बोलता कुछ भी नहीं

 एक दिन विजया नहीं अजय को कहा अगर तेरे पास कुछ पैसे हैं तो मुझे थोड़ा दे दे घर में रेशम की कमी पड़ गई है अजय बोला मेरे पास पैसे नहीं है विजय बोला कुछ दिन बाद तेरे पैसे लौटा दूंगा प्लीज मेरी हेल्प कर देना भजन थोड़े पैसे तो दे दिए दोस्ती धीरे-धीरे कम कर रहा था क्योंकि दूसरे लोगों के साथ दोस्ती कर चुका था विजय एक दिन कहीं गांव से बाहर गया था तो रात को लेट घर आ रहा था गांव के नजदीक में एक होटल था और सोचा काफी थक गया हूं थोड़ा नाश्ता या कुछ खा ले उस होटल में रुका तो उसका दोस्त अजय और उसके नए दोस्त कुछ पार्टी कर रहे थे विजय ने पूछा अजय किस चीज की पार्टी कर रहे हो भाई मुझे तो बताया नहीं आप लोगों ने अजय ने

 कहा मैं सोचा तुम घर के काम में बिजी होंगे इसीलिए तुम्हें बताया नहीं अभी कहां से आ रहे हो विजय बोला तुम्हारे पैसे लौटाने थे इसीलिए रिश्तेदार के घर जाकर तुम्हारे पैसे लेकर आया हूं क्योंकि तुम्हारा पैसा वापस करना था इसलिए अजय बोला ठीक है दे दे पैसा विजय बोला मुझे पैसा नहीं मिला भाई थोड़े ही दिन में दे दूंगा मुझे उम्मीद थी मेरे रिश्तेदार जो भी थे मेरी मदद करेंगे लेकिन उन्होंने नहीं की मदद कैसे भी करके तुम्हारे पैसे थोड़े ही दिन में

 लौटा दूंगा अजय बोला ठीक है कोई बात नहीं विजय बोला तुम लोग पार्टी कर रहे हो क्या मैं भी शामिल हो सकता हूं अजय बोला इस पार्टी में हमारे 3 -3 हजार लगे हैं 3000 तुम भी डालो तो तुम भी शामिल हो सकते विजय बोला मेरे पास तो एक भी पैसा नहीं है भाई अजय के दोस्त लोग बोले तुम्हारे पास पैसा नहीं है तो कैसे शामिल हो सकते हो अजय बोला ठीक है आ जाओ हम लोगों ने खुद ही पार्टी बनाई है तुम्हें बताया नहीं उसके लिए सॉरी तुम हमारे

 साथ शामिल हो सकते हो पार्टी में खिलाया पिलाया पार्टी खत्म होते ही बोला इस होटल में जितने भी बर्तन है सारे बर्तन धो कर पूरी सफाई करके अपने ₹3000 माइनस कर लेना बोलकर बाकी दोस्त लोग सभी चले गए विजय ने होटल वाले को पूछा क्यों क्या बात है उन लोगों ने क्या बोला है तुम्हें होटल वाला बोला उन लोगों ने हमारे 3000 कम किए हैं वह 3000 तुम पूरा करोगे तुम्हारे होटल में जो भी है बर्तन है जो भी सफाई करनी है 3000 का काम करवा

 लेना वह लोग चले गए विजय विजय क्या मन में अंदर ही अंदर दुख था क्योंकि उसका दोस्त पहले से उसको बहुत अच्छा मानता था और हर जगह बुलाता था उसके बगैर कहीं भी जाता नहीं था आज मेरे पास पैसा नहीं होने के कारण मेरे साथ ऐसा किया समझ गया था होटल में सारा काम करके उसके ₹3000 का काम करते ऑफिस सुबह घर आया परेशान हो गया था । अजय उन दोस्तों के साथ बहुत बिगड़ गया था पता भी खेलने लग गया था शराबी हो गया घर का ख्याल भी नहीं रखता था धीरे-धीरे जो भी उसके पास पैसे थे सारे खर्च करके विजय के लेबल में आ

 गया था विजय ने कभी भी अजय को बुरा नहीं माना क्योंकि वह समझ गया था कि वैसे ही सब कुछ होता है पैसा नहीं होने की वजह से उन लोगों ने होटल में काम करवाया होटल में पार्टी में खा पीकर होटल में ही काम करके पूरा करना उसमें क्या खुशी थी मजबूर करना पड़ा

अजय की हालत भी ऐसी हो गई कुछ दिन बाद तो विजय के घर पैसा मांगने आया जो उसने पहले उसको को उधार दिया था विजय ने उसका पूरा पैसा वापस किया और अजय बोला ब्याज के साथ लूंगा जितना पैसा दिया था 3 गुना पैसा चुकाया विजय उसका वह पैसा भी जल्दी खत्म हो गया विजय ने उसका साथ छोड़ कर अच्छा मेहनत करके थोड़ा पैसा बना लिया था एक दिन वही आ जाए विजय के पास आया और पूछा मेरे घर में खाने के लिए नहीं है भाई थोड़ा पैसा है तो दे दे अजय ने कहा ठीक है भाई तेरा घर मेरा घर मेरे पास है तू पैसा ले ले मुझे ब्याज के

 साथ लौट आने की जरूरत नहीं है जब भी तू पैसा बना पाएगा तभी मुझे देना जल्दी देने की कोई जरूरत नहीं है वही पैसा लेकर फिर से पार्टी बना रहा था अजय अचानक विजय वहां पर पहुंचा विजय को पूछा तुम तो घर के राशन के लिए पैसा पूछे थे यहां पर पार्टी मना रहे हो यह तो गलत बात है क्यों ऐसा कर रहे हो अजय बोला तेरा पैसा मैं दे दूंगा क्यों चिंता करता है परेशान मत हो तेरे पैसे मैं लौटा दूंगा विजय बोला वह बात नहीं है भाई देख ऐसा मत

 कर एक गलत बात है घर में खाने के लिए नहीं है तू इन दोस्तों के साथ बेकार में पैसा खर्च कर रहा है अजय ने इतने सारे लोगों के सामने बेइज्जत किया विजय घर चला आया थोड़े ही दिन बाद अजय के पास कोई पैसा नहीं था और उसके नए जो भी दोस्त थे सभी लोगों ने उसको भी छोड़ दिया अभी उसका कोई भी दोस्त नहीं था उसके पास पैसा भी नहीं था एक दिन विजय का विजय का जन्मदिन था विजय ने अजय को का क्यों भाई तुम भूल गए हो क्या आज मेरा जन्मदिन है आ जाओ आ अजय ने हां बोला लेकिन अजय नहीं आया विजय सोचा कोई बात नहीं जब

 दोस्त था तब था अब कोई भी दोस्त नहीं सोचकर वह भी चुपचाप रह गए 2 महीने बाद अजय का जन्मदिन था उस जन्मदिन के दिन विजय ने उसके लिए गिफ्ट लाकर उसके घर पहुंचा अजय अपना जन्मदिन मना नहीं रहा था उसके घर में उसके बीवी बच्चे सभी घर पर ही थे अजय जन्मदिन मुबारक भाई बोलकर अंदर गया तो अजय कुछ बात ही नहीं किया विजय ने बोला क्यों आज तुम्हारा जन्मदिन है घर में कोई भी तैयारी नहीं है क्या बात है अजय भल्ला मुझे माफ कर दो दोस्त तुम्हारे साथ मैंने अच्छा नहीं किया मेरे साथ जो भी दोस्त थे बस जब तक मेरे पास

 पैसा था तब तक के ही दोस्त थे अभी मेरे पास कोई भी नहीं है जन्मदिन मनाने के लिए मेरे पास एक भी पैसा नहीं है विजय बोला तू मेरे को बोल सकता था ना मैं नहीं तो तेरे साथ ऐसा कुछ भी नहीं किया कभी भी चल मनाते हैं विजय ने सारी तैयारी की उसका जन्मदिन अच्छे से मनाया उस दिन से फिर दोनों अच्छे दोस्त बने एक दूसरे का सहारा एक दूसरे का सुख दुख बरसने लगे उस दिन से उन लोगों को कभी भी कोई भी परेशानी नहीं आई दोनों दोस्त दोनों परिवार अच्छे से खुश रहने लगे।

Dosti to karta hai lekin log bhul jaate Hain ki ki paisa hone per paisa na hone per dosti kya hoti hai log bhul jaate Hain acchi dosti nibhaanaa hai to do doston ki ki bhalai burai mein kaam aaoge to dosti nibha paoge
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