- गरीब और अमीर की दोस्ती हिंदी कहानी
गरीब और अमीर की दोस्ती हिंदी कहानी Friendship story of poor and rich hindi
एक गांव में गरीब परिवार रहता था उन्होंने कभी भी दीपावली नहीं मनाई क्योंकि उनके पास इतना पैसा नहीं रहता था की दीपावली में मिठाइयां और पटाखे खरीद पाए उस गरीब के घर में एक छोटा सा बच्चा था उनकी दीपावली तो कभी भी नहीं हुई दीपावली कभी भी मना नहीं पाया और बेटा भी 5 साल का हो गया था उसके घर के पारसी एक अमेरिका घर था उनका वीर छोटा बच्चा था उस बच्चे का नाम था रवि
गरीब परिवार का बच्चे का नाम था श्याम
गरीब परिवार का बच्चे का नाम था श्याम
Friendship story of poor and rich hindi
बाहर आंगन में बहुत सारे बच्चे खेल रहे थे रवि उनको देखकर उन बच्चों को पूछा और कहा इस बार दीपावली मिलकर बनाएंगे श्याम चुपचाप सुन रहा था। श्याम अपने घर गया और अपने मम्मी पापा को बोला हम भी इस बार अच्छे से दीपावली मनाएंगे पटाखे और मिठाईयां खरीद कर ले आई है पिताजी का हा पिताजी ने कहा
दीपावली तो बड़े लोगों की है बेटा हमारे पास इतना पैसा कहां है बड़ा मुश्किल से हम दो वक्त की रोटी कमा पाते हैं दीपावली हमारे नसीब में नहीं है बेटा श्याम चुपचाप बाहर चले गया बाहर आंगन में उदास बैठा था और रवि आक्रोश को पूछा क्यों चुपचाप बैठे हो श्याम ने कहा हमारे घर में पटाखे नहीं लेकर आ रहे हैं दीपावली मना नहीं पाएंगे
श्याम ने कहा कोई बात नहीं हम मुझसे दोस्ती करो हम साथ दीपावली मनाएंगे उसने कहा दीपावली जो भी फेस्टिवल आते हैं वह तो बड़े लोगों के लिए है हमारे लिए नहीं है मैं तो गरीब घराने का हूं रवि ने कहा ऐसा कुछ नहीं चलो मेरे साथ रह कर अपने घर लेकर गया श्याम के पास अच्छे कपड़े भी नहीं थे फटे पुराने कपड़े पहन कर रवि के घर गया रवि के मां बाप पर उस बच्चे को देखकर यह बच्चा कौन है श्याम ने कहा यह मेरा दोस्त है इसके मां
बाप के पास कोई पैसा नहीं है इसलिए दीपावली मना नहीं पाएंगे कहकर इसको उदास किया है इससे मैंने दोस्ती की है और इसके साथ दीपावली मनाएंगे रवि के पापा ने साफ-साफ मना किया इन गरीब लोगों को क्यों साथ में लेकर आता है यह लोग पहले दोस्ती करेंगे फिर हमारे ही घर में चोरी करेंगे। यह बात सुनकर श्याम चुपचाप चला गया थोड़ी देर में रवि वापस आया और उससे कहा मेरे मां बाप मुझे मना कर रहे हैं मैं कुछ भी नहीं कर सकता
Friendship story of poor and rich hindi
उसने कहा कोई बात नहीं मैं तो गरीबी हूं ना भाई कहां हो और चला गया
कुछ दिन बाद यह गांव के सारे बच्चे गांव से दूर गए थे थोड़ा पहाड़ भी था बच्चे लोग खेल रहे थे सामने देखा एक पाठ से एक पत्थर आ रहा था वह पत्थर रवि को लगने वाला था श्याम भागकर गया और रवि को वहां से हटाया और पत्थर और गरीब बच्चे को लग गया और रवि ने कहा पत्थर आते हुए देखकर तुमने मुझे बचाया और पत्थर तुम्हें लग गया क्यों ऐसा किया तुमने गरीब घर के बच्चे ने कहा तुम मेरे दोस्त हो ना अपनी दोस्ती के लिए यह तो कुछ भी नहीं उस बच्चे के मुंह में भारी चोट आ गई थी रवि सीधा घर चला गया
कुछ दिन बाद यह गांव के सारे बच्चे गांव से दूर गए थे थोड़ा पहाड़ भी था बच्चे लोग खेल रहे थे सामने देखा एक पाठ से एक पत्थर आ रहा था वह पत्थर रवि को लगने वाला था श्याम भागकर गया और रवि को वहां से हटाया और पत्थर और गरीब बच्चे को लग गया और रवि ने कहा पत्थर आते हुए देखकर तुमने मुझे बचाया और पत्थर तुम्हें लग गया क्यों ऐसा किया तुमने गरीब घर के बच्चे ने कहा तुम मेरे दोस्त हो ना अपनी दोस्ती के लिए यह तो कुछ भी नहीं उस बच्चे के मुंह में भारी चोट आ गई थी रवि सीधा घर चला गया
और अपने मम्मी पापा को बताया मैं खेल रहा था उसी समय एक पत्थर मुझे लगने वाला था और श्याम ने मुझे बचाया यह बात सुनकर रवि के मां-बाप उस बच्चे को हॉस्पिटल लेकर उसका इलाज किया और कहा तुम तो सच्चे अच्छे बच्चे हो तुम्हारी पढ़ाई का खर्चा मैं उठाऊंगा और तुम बड़े आदमी बनो कहकर उस बच्चे को रवि के मां-बाप पढ़ाने लगे।
शाम अच्छा पढ़ता लिखता था अच्छा पढ़ लिख कर बड़ा आदमी और अपने मां बाप को भी खुश रखा उसके मां-बाप भी बहुत खुश थे वह गरीब परिवार भी एक दिन मेरे ही बन गया।
शाम अच्छा पढ़ता लिखता था अच्छा पढ़ लिख कर बड़ा आदमी और अपने मां बाप को भी खुश रखा उसके मां-बाप भी बहुत खुश थे वह गरीब परिवार भी एक दिन मेरे ही बन गया।
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