The girl from the village got the love of the girl who was separated in the cityगांव की लड़की शहर में बिछड़ी लड़की को मिला प्यार

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गांव की लड़की शहर में बिछड़ी लड़की को मिला प्यार 

The girl from the village got the love of the girl who was separated in the cityगांव की लड़की शहर में बिछड़ी लड़की को मिला प्यार
The girl from the village got the love of the girl who was separated in the cityगांव की लड़की शहर में बिछड़ी लड़की को मिला प्यार  

The girl from the village got the love of the girl who was separated in the city

प्यार की कोई सीमा नहीं होती प्यार कब होता मालूम नहीं होता कब किस से प्यार हो जाए आइए दोस्तों आगे बढ़ते हैं इन दोनों की सच्ची प्रेम कहानी कहां और कैसे हुई

शहर से दूर 300 किलोमीटर गांव से लड़की और लड़की के साथ लड़की का पिता जी आ रहे थे लड़की थोड़ी बीमार हुई थी शहर में इलाज भी करना था और शहर में लड़की का भाई नौकरी करता था शहर में लड़की अपने भाई के पास आ रही थी और साथ में पिताजी थे पिताजी अपने बेटे के पास अपनी बेटी को छोड़ने आए थे लड़की दसवीं पास होकर शहर आई थी अपने भाई के रूम में ही रहकर शहर में बाकी की पढ़ाई करने की चाहत थी

 इसीलिए गांव से शहर आ रहे थे बस भी गांव से सुबह निकली और रात 11:00 बजे शहर पहुंची लड़की ने इससे पहले कभी भी शहर देखा नहीं था बस का सफर भी कभी नहीं किया था बस में लड़की को चक्कर आ रहे थे शहर के जैसे लोग भी कभी उसने देखा नहीं था शहर के जितने लोग कभी गांव में मेला लगता है तभी दिखते थे लेकिन उसने शहर भी कभी देखा नहीं था रात 11:00 बजे बस से उतरने लगे लोग बस शहर पहुंच चुकी थी उनको दूसरे स्टॉप पर उतरना था लेकिन वह लड़की उसे स्टॉप पर उतर गई क्योंकि उसने अपने पिताजी को बस से उतरते हुए

 देखा था इसलिए लड़की बस से उतर गई लोग बहुत सारे थे भीड़ जमा हुई थी इसीलिए लड़की ऑफिस बस में नहीं गई उसके पिताजी बस में ढूंढते रहे लेकिन लड़की नहीं मिली उसके पिताजी परेशान हो गए थे बस 2 किलोमीटर दूर जा चुकी थी लड़की के पिताजी ने कहा ड्राइवर साहब मेरे साथ मेरी लड़की भी थी लगता है वह वहीं पर उतर गई मुझे यहीं पर उतार दो ऑटो रिक्शा करके मैं वापस जाऊंगा बस ड्राइवर ने बॉस रोक दी और लड़की का पिता ऑटो करके वापस उसी बस स्टॉप पर गया सारे होटल जान मारे सड़क पर भी हर जगह ढूंढा लेकिन उसकी

 लड़की नहीं मिली लड़की भी परेशान थी पापा कहां गए उसके पापा मिल नहीं रहे थे लड़की चलते-चलते ढूंढते ढूंढते कहां पहुंची लड़की कोई पता नहीं था टाइम गुजरता गया रात 1:00 बज गया लड़की रोती हुई कंधे पर अपना भारी बैग रख कर इधर-उधर जा रही थी अचानक एक लड़का मिला वह लड़का भी पहाड़ का ही था लेकिन लड़की को पता नहीं था लड़का पहाड़ का है और लड़के को भी पता नहीं था लड़की पहाड़ की है पहाड़ में दूर-दूर के गांव के थे दोनों उस लड़के ने पूछा क्यों क्या हुआ निगाहों से बाहर से आए हो क्या तुम शहर में नहीं हो क्या क्या हुआ

 लड़की बोली मेरे पिताजी के साथ आई थी मैं लेकिन मैं तो यहां पर उतरी मेरे पिताजी को भी मैंने यही पर उतरते हुए देखा था लेकिन मेरे पिताजी नहीं मिल रहे 11:00 बजे उतरे थे यहां पर अभी तो 1:00 बज रहा है अब मैं क्या करूं लड़का बोला शहर में आपको कहां जाना था लड़की बोली इसी शहर में मेरा भाई रहता है भाई के पास आ रहे थे हम लोग लड़का बोला आपके भाई का फोन नंबर नहीं तो एड्रेस आपको पता है तो मुझे दे दो मैं आपको

 पहुंचा दूंगा लड़की के पास ना तो कोई एड्रेस था ना कोई फोन नंबर जो भी था उसके पिताजी के पास ही था लड़का बोला इस हालत में आप क्या करोगी मैं तो इस शहर में नहीं दूसरे शहर में पढ़ाई करता हूं वही जा रहा हूं मेरी बस अब आने वाली है इस शहर से मैं बस पकड़ने वाला हूं इस शहर से बहुत दूर है जहां मैं पढ़ाई करता हूं अभी मैं बस पकड़ लूंगा तो सुबह 6:00 या 7:00 बजे मेरी बस वहां पहुंचेगी अब इसमें मैं क्या कर सकता हूं लड़की बोली यहां

 पर मुझे बहुत डर लगता है अब मैं क्या करूं लड़का बोला आपके पिताजी वापस घर तो जाएंगे ही आपके घर तक जो भी बस जाती है मैं आपको उसी बस में बैठा देता हूं लड़की बोली मुझे बहुत डर लगता है मेरे घर तक बस भी नहीं जाती 6 किलोमीटर दूरी पर छोड़ती है मैं तो जहां तक बस जाती है वहां से घर जाने का रास्ता भी मालूम नहीं घर छोड़कर मैं कभी भी बाहर नहीं गई अब मैं क्या करूं लड़का बोला मैं भी इस समय कुछ भी नहीं कर सकता मैं भी पढ़ाई करने के लिए आया हूं दूसरे शहर जाना है छुट्टियों में गांव गया था इसलिए अभी ऑफिस आया हूं अभी

 तुम ही बोलो मैं क्या कर सकता हूं लड़की बोली मुझे भी साथ में ले चलो लड़का बोला तुम्हें साथ में पैसे लेकर जा सकता हूं लड़की बोले मैं क्या करूंगा शहर में मुझे बहुत ही डर लगता है शहर के लोग भी अच्छा नहीं होते हैं ऐसा मैंने सुना है मैं क्या करूं लड़का बोला कुछ भी नहीं होगा रुको आएगी सुबह अपने घर चले जाना कहां ढूंढ रहे होंगे पता नहीं तुम्हारा भाई का एड्रेस भी कहां है पता नहीं मैं कुछ भी नहीं कर सकता मेरे पास रुपए है तुम्हारे घर जाने

 के लिए काम आएंगे हजार रुपया लड़की को दिया लड़की रोने लगी मुझसे नहीं होगा मैं कैसे जाऊंगी मुझे बहुत डर लगता है मुझे साथ ले चलो प्लीज कह कर रोने लगी लड़का भी मान गया अपने साथ लेकर चला गया और दूसरे सुबह शहर पहुंचे और बोला मेरा रूम तो यही है अभी तुम भी पढ़ाई करना चाहती हो तो मेरे पास इतना पैसा भी नहीं है एक तो तुम्हें इलाज की भी जरूरत है इसमें मैं क्या कर सकता हूं लड़की बोली कोई बात नहीं थोड़े दिन यहां पर रह लूंगी आपके साथ जब मुझे कुछ समझ में आएगा शहर में कुछ काम कर लूंगी लड़का बोला ठीक है 3 महीने तक उसके कमरे में ही रही

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दोनों को धीरे धीरे प्यार भी हो गया और 3 महीने के बाद रेडियो में उसके पापा ने अपनी बेटी का नाम बोलकर मेरी बेटी को मैं 3 महीने से ढूंढ रहा हूं मेरी बेटी खो गई है कहकर रेडियो में बोल रहा था और अपना फोन नंबर भी दे रहा था लड़के ने रेडियो में सोना और लड़की को बताया कि आपके पापा मिल गए हैं आपके पापा शहर में ही है रेडियो में सुना था फोन नंबर मैंने नोट कर के रखा है थोड़े दिन के लिए छुट्टी लेकर मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूं फोन करते हैं।

दोस्तों हमारा पोस्ट काफी लंबा हो चुका है यह सच्ची कहानी है आपको पेज नंबर वन पर जाकर कंटिन्यू करना होगा

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